इन गर्मियों में कुछ मायूसी सी छा जाती है..
मेरी नानी है जिनकी मुझे बड़ी याद आती है..!
दूर से जो मुझे पहचान भी ना पाती थी..
छाछ -राबड़ी मुझे रोज खिलाती थी..!
अब उनसे मिलने की तमन्ना
बस दिल मे ही रह जाती है..!
सब कुछ है मेरी नानी के गांव में .
पर अब नानी कहीं नजर नहीं आती है..!