Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक बूढ़ी मा खटिए पे बैठी आँखों की आंशू छुपा रही थी

एक बूढ़ी मा खटिए पे बैठी आँखों की आंशू छुपा रही थी,
जिस बेटे ने घर से निकाला जिगर का तुकड़ा उसे बता रही थी,
क्या खबर उस बेटे को उसकी मां ने उसके लिए क्या क्या झेले है,
अपने बेटे की खुशी के लिए वो बूढ़ी मां आज भी मिन्नते लगा रही थी,
थी होठ कापती हाथ कापते फिर भी दर्द की जिंदगी गुजार रही थी,
कभी सुखा खाकर कभी भूखा रहकर अपनी मौत को बुला रही थी...

                                        ~आशुतोष दुबे #nojoto budhi maa ke dard...
एक बूढ़ी मा खटिए पे बैठी आँखों की आंशू छुपा रही थी,
जिस बेटे ने घर से निकाला जिगर का तुकड़ा उसे बता रही थी,
क्या खबर उस बेटे को उसकी मां ने उसके लिए क्या क्या झेले है,
अपने बेटे की खुशी के लिए वो बूढ़ी मां आज भी मिन्नते लगा रही थी,
थी होठ कापती हाथ कापते फिर भी दर्द की जिंदगी गुजार रही थी,
कभी सुखा खाकर कभी भूखा रहकर अपनी मौत को बुला रही थी...

                                        ~आशुतोष दुबे #nojoto budhi maa ke dard...