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जिंदगी गुलजार थी, बेजार कैसे हो गई । आंखो में तो ख

जिंदगी गुलजार थी, बेजार कैसे हो गई ।
आंखो में तो ख्वाब थे , फिर रात कैसे हो गई
अभी फूल खिले न थे , पंछी अभी मिले ना थे 
धूप की जगह यहां , राख कैसे हो गई ।

सब्र जो ना मिटे, ज़ख्म जो ना भरे।
कितने आशियाने जल गए, हर दीवार ढह गई
कोई इश्क अधूरा , कहीं मां अकेली रह गई ।

ये मुल्कों की लड़ाई में , अपनो की रिहाई में 
कोरे थे जो पन्ने , सब स्याह सी बह गई 
मिट्टी में तो प्यार था , शमशान कैसे हो गई 
जिदगी गुलजार थी बेजार कैसे हो गई ।।

©Priyanka Anuragi #wordwar #NoWar 

#Rose
जिंदगी गुलजार थी, बेजार कैसे हो गई ।
आंखो में तो ख्वाब थे , फिर रात कैसे हो गई
अभी फूल खिले न थे , पंछी अभी मिले ना थे 
धूप की जगह यहां , राख कैसे हो गई ।

सब्र जो ना मिटे, ज़ख्म जो ना भरे।
कितने आशियाने जल गए, हर दीवार ढह गई
कोई इश्क अधूरा , कहीं मां अकेली रह गई ।

ये मुल्कों की लड़ाई में , अपनो की रिहाई में 
कोरे थे जो पन्ने , सब स्याह सी बह गई 
मिट्टी में तो प्यार था , शमशान कैसे हो गई 
जिदगी गुलजार थी बेजार कैसे हो गई ।।

©Priyanka Anuragi #wordwar #NoWar 

#Rose