क्या सिर्फ मिलन की रातों से होती है मोहब्बत मुक्कमल ? फिर मैंने क्यों उसे अक्सर मुक्कमल होते देखा है... बेखौफ इन्तेज़ारों में, किसी आवाज़ की आहटों में, खामोश दुआओं में, कुछ मुस्कुराहट की झलकों में... मिलन?