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क्या सिर्फ मिलन की रातों से होती है मोहब्बत मुक्कम

क्या सिर्फ मिलन की रातों से होती है मोहब्बत मुक्कमल ?
फिर मैंने क्यों उसे अक्सर मुक्कमल होते देखा है...
बेखौफ इन्तेज़ारों में,
किसी आवाज़ की आहटों में,
खामोश दुआओं में,
कुछ मुस्कुराहट की झलकों में...


 मिलन?
क्या सिर्फ मिलन की रातों से होती है मोहब्बत मुक्कमल ?
फिर मैंने क्यों उसे अक्सर मुक्कमल होते देखा है...
बेखौफ इन्तेज़ारों में,
किसी आवाज़ की आहटों में,
खामोश दुआओं में,
कुछ मुस्कुराहट की झलकों में...


 मिलन?

मिलन?