अपना आज देकर ही वो तुम्हारे कल लिख जाते शहरों की इस चमक दमक को अपने यौवन के पल लिख जाते बेहतर जीवन की तलाश में गांव की मिट्टी,हल लिख जाते अपने स्वेदकणों की स्याही से जाने कितने घर लिख जाते पर उनकी मुश्किल घड़ियों में शहरों के माथे बल नहीं आते हां वो प्रवासी हैं। #जयन्ती #prawasimajdoor #prawasi_majdoor_taklif