सेना में बड्डी/सहायक या सेवादार हो तीनो का मतलब सिर्फ सेना के अधिकारियों के जवान नौकर ही है ... .✍🏻जिससे जवानो से तमाम और मनमर्जी खुदके घरेलु काम सेना के अधिकारी लेते है और और यहाँ तक की अफसर के बच्चे और फॅमिली भी जवान को निजी नौकर समझती है इसलिए अधिकारियो की नजर में जवान की इज्जत सिर्फ एक नौकर है यहाँ तक की अफसर के बच्चे और फॅमिली भी कोई इज्जत नहीं देते है .... .✍🏻लेकिन सेना के अंग्रेज कानून में कोई ऐसी धारा नहीं है जो इसतरह जवानों से काम लेने के या सेवादारी लेने के अधिकार सेना के किसी अफसर को दिए है .... .✍🏻पर चार दीवारों के अंदर अधिकारियो की मनमर्जी हाई लेवल पर है जो देश की जनता को कुछ भी पता नहीं है ... .✍🏻जवानो की खुदखुशी की ये एक बड़ी वजह है इसमें कोई शक नहीं .... . 👇 और जवानों से सामूहिक काम जो करवाए जाते है जो सबको करने के लिए सेना के अधिकारी विवश कर देते है ... .✍🏻सामूहिक नाजायज काम को मना करना मतलब उस एक जवान को सजा पाना या पुरे समाज जीवन से अधिकार अलग थलग कर देते है ..... ✍🏻 जय हिंद .... ✍🏻 जो कांग्रेस 50-60 साल से सेना में ब्रिटिश कानून को बदल न सकी और भारत अपना कानून बना सका वो कैसा स्वतंत्र देश ....????? https://profile.dailyhunt.in/naralea2743473870493 ©NARAYAN NARALE #chains #b #loV€fOR€v€R #CAA #x