मै तुम्हारा हूँ प्रभु ,मुझपे ईक नजर रखना..2 वक्त कैसा भी हो तुम ध्यान मे सदा रहना मैं तुम्हारा............................. बनके रहबर हीं सदा रास्ते दिखाना तुम हो अगर दम्भ कभी उसको भी मिटाना तुम मै निरा मूरख हूँ मुझमे ज्ञान को भरना मैं तुम्हारा......................... पाँव हैं दलदल मे तम से अब घिरा है मन राह दिखता हीं नही ,हर तरफ मची हलचल मेरी हर कुण्ठा को स्नेह से सदा हरना मैं तुम्हारा...........................। खुद से लड़ने का यहाँ आके हौसला दे दो मुझमे हिम्मत दो यहाँ ,प्यार की सदा दे दो मन से तम को हीं सदा दुर हे प्रभु रखना मैं तुम्हारा...........................। राजीव खुशवंत नयनसी परमार