सुनसान रात ,पसीने से लथपथ मैं, एक भयानक सपना अनचाहा स्पर्श कर रहा मुझे कोई अपना मैं निंद्रा से जाग उठी और जोर से चिल्लाई मुँह पर हाथ रख किसी ने मेरी आवाज दबाई मेरा हौसला, मेरी चीखें सब हो गई वहीं समाप्त भय और असाध्य पीड़ा संग, बीती रात और गयी बात। 🎀 Challenge-220 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी कविता लिखिए। (ध्यान रहे कविता लिखनी है)