दौड धूप के बीच काश ठहराव मिल जाएतो क्या कहना। थम गये लो थम गये महसूस करो जिंदगी की गहराई को,उफ अब थम गये तो क्या कहना। खो दिया जिंदगी में कुछ अगर मिला उससे ज्यादा जिंदगी में, जिंदगी का क्या कहना। गती मिलती रही जिंदगी चलती रही चल रही थी गति की जिंदगी उस गति का क्या कहना। सीखा चांद-सूरज की तरह चलते जाना वो जो रात दिन है उसका क्या कहना, अरे थम गये तो क्या कहना। परेशानीयो में नम गये मेरे नेन,वो तो कल था आज नयी परिस्थितियां नयी परेशानीया थोडा थम गये तो क्या कहना रोज वही दौड़-धूप की जिंदगी आज अपनी दर पर जम गये तो क्या कहना। आज थम गये तो क्या कहना। (ये कविता मेंने 27/3/2020 को लिखी थी लोक डाउन में।) ©meena #थम गये तो क्या कहना।🙂✋👏