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आज गाँव के विशाल जलाशय पर नज़र पड़ी। वहाँ केंद्र में

आज गाँव के विशाल जलाशय पर नज़र पड़ी।
वहाँ केंद्र में शहरी महिला सशक्तिकरण दम तोड़ती दिखी।
शायद थक गई थी इसे पार करने की जद्दोजहद में ये सोचकर कि जब पानी खत्म होगा तो जी भी लेगी किन्तु, अफ़सोस वह बिना यह जाने मर गयी कि ये पानी कभी खत्म नहीं होता।
मैं चुप था फिर, पर, चुप्पी में समझ ही गया।
गाँव का पानी मरघट है।

©Sukhdev मरघट

#CityEvening
आज गाँव के विशाल जलाशय पर नज़र पड़ी।
वहाँ केंद्र में शहरी महिला सशक्तिकरण दम तोड़ती दिखी।
शायद थक गई थी इसे पार करने की जद्दोजहद में ये सोचकर कि जब पानी खत्म होगा तो जी भी लेगी किन्तु, अफ़सोस वह बिना यह जाने मर गयी कि ये पानी कभी खत्म नहीं होता।
मैं चुप था फिर, पर, चुप्पी में समझ ही गया।
गाँव का पानी मरघट है।

©Sukhdev मरघट

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