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अनुरक्ति बढ़ा कर आँखों से,दिल को यह पंख लगाती है। क

अनुरक्ति बढ़ा कर आँखों से,दिल को यह पंख लगाती है।
कर मन उल्लासित झूम झूम,धड़कन में शंख बजाती है।
चुन चुन पराग फूलों से ये मीठा मकरंद बनाकर के!
मुस्कान लबों पर बिखराये,रग रग में शहद बहाती है।
ये राजहंस सा युगल बनाकर आसमान धरती करदे,
ख़ुद तो बन जाती राधा सी मुझको घनश्याम बताती है। 🎀 Challenge-178 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 कोराकाग़ज़ समूह आज आपके लिए लेकर आया है व्यक्तिगत रचना वाला विषय जिसका नाम है "मोहब्बत की उड़ान"। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कृपया 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।

🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह की पिन की हुई पोस्ट के कैप्शन में नियम नम्बर 17 ज़रूर पढ़िए।
अनुरक्ति बढ़ा कर आँखों से,दिल को यह पंख लगाती है।
कर मन उल्लासित झूम झूम,धड़कन में शंख बजाती है।
चुन चुन पराग फूलों से ये मीठा मकरंद बनाकर के!
मुस्कान लबों पर बिखराये,रग रग में शहद बहाती है।
ये राजहंस सा युगल बनाकर आसमान धरती करदे,
ख़ुद तो बन जाती राधा सी मुझको घनश्याम बताती है। 🎀 Challenge-178 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कृपया 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।

🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह की पिन की हुई पोस्ट के कैप्शन में नियम नम्बर 17 ज़रूर पढ़िए।