मेरे मन के भावों की तरंगें, तुम्हीं से होकर गुज़रती हैं, तुम्हारे ही आँखों में थम कर, पलकों से मेरे छलकती हैं.. विविधता कुछ चंद लम्हा थामें, मुझे गूंगा करती है, तीक्ष्णता बीते माजी़ को सहसा, निखारा करती है.. तुम्हारे ही आंगन में बैठ कर, मेरी किरणे समुन्दर तक फैलती हैं, एहसासे-बेकरां है कि भावनाएं, दिन रात बरसती हैं, सफर से सिफ़र तक का किस्सा, तुम्हारे नाम करती हैं.. कैसे तुम्हारे आँखों में मेरी, पूरी कायनात आ बसती है?? इस सवाल के जवाब में कहकशां, दर-बदर भटकती है.. ©Shiuli #shiuli13 #Love #Life #Poetry #forever #togetherness #Feel #Lines #word