सुन शहर....., होंगी तेरे पास ऊंची ऊंची इमारतें, धन दौलत और शोहरत। पर ये मत भूलना..., मेरे कई गावं, उजड़े तब जाकर तूने अपनी नींव रखी।। मेरी डायरी मेरा गांव