मैं दिवाना हूँ इन अदाओं का मैंने तो प्यार किया है तुमसे जिंदगी भर तुम्हें ही चाहूंगा मैंने इक़रार किया है तुमसे ! 💕☕सुप्रभातम💕🙏☕😊 : एक नर्तकी के मकान के सामने एक धार्मिक व्यक्ति का मकान था। कुछ सालों के बाद दोनों यमराज के समक्ष उपस्थित हुए। वहां नर्तकी को स्वर्ग तथा धार्मिक व्यक्ति को नरक में भेजने का आदेश हुआ। धार्मिक व्यक्ति को यह निर्णय समझ में नहीं आया। उसने यमराज से प्रश्न कर ही लिया। यमराज ने कहा कि तुम धार्मिक क्रियाएं तो करते थे, किन्तु तुम्हारा ध्यान सदा नर्तकी पर टिका रहता था। मन पूर्ण रूप से वासना ग्रस्त था। नर्तकी के सामने नृत्य करना मजबूरी थी। किन्तु उसका मन तुम्हारी तरह धर्म नहीं कर पाने के लिए दुखी था। मन में धर्म का भाव नित्य रहता था। यही भाव उसके स्वर्ग का आधार रहा। : प्रकृति में कर्म तो शुद्ध कर्म ही है। उसी अनुरूप फल है। चूंकि मानव जीवन का मूल लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति कहा है, अत: उस दिशा में सहायक होने वाले कर्म की पुण्य संज्ञा की गई। पाप-पुण्य की इस अवधारणा से व्यक्ति के मन में लक्ष्य के प्रति जागरूकता एवं प्रेरणा बनी रहती है। समाज में भी मर्यादित आचरण बना रहता है। सकारात्मक सोच के कारण ही विद्या एवं ज्ञान के प्रति आकर्षण बना रहता है। आज शिक्षा के धर्मविहीन हो जाने से मानव समाज भी अमर्यादित होने लग गए। : #पंछी #पाठक