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रोज़ निकलता हूँ घर से सड़क के दाएं बाएं को ताकतें ब

रोज़ निकलता हूँ घर से सड़क के दाएं बाएं को ताकतें
 बेमन्टी करके मिलती है वो जब पूरा बाजार आ जाता है ।

मम्मी भी मम्मी है यार देर तलक सोने भी नहीं देती कहतीं है तू जब तलक उठता है सूरज सर पे आ जाता है । 


रात में ज़िन्दगी को सोच के लिखने और जीभ पूरे मुँह में घुमा के चटकारा लेने से दिन भर का स्वाद आ जाता है । 
©️✍️ सतिन्दर आ जाता है नज़्म 2
#kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म Mukesh Poonia Thameem Ansari vivekdevda38 mithunkoch1996 samkhatri992
रोज़ निकलता हूँ घर से सड़क के दाएं बाएं को ताकतें
 बेमन्टी करके मिलती है वो जब पूरा बाजार आ जाता है ।

मम्मी भी मम्मी है यार देर तलक सोने भी नहीं देती कहतीं है तू जब तलक उठता है सूरज सर पे आ जाता है । 


रात में ज़िन्दगी को सोच के लिखने और जीभ पूरे मुँह में घुमा के चटकारा लेने से दिन भर का स्वाद आ जाता है । 
©️✍️ सतिन्दर आ जाता है नज़्म 2
#kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म Mukesh Poonia Thameem Ansari vivekdevda38 mithunkoch1996 samkhatri992