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तरसे जो बरसों इक ग़ुलाब की खातिर, कब्र पर गुल-दस्त

तरसे जो बरसों इक ग़ुलाब की खातिर,
कब्र पर गुल-दस्ते हजार मिलें!
जीते जी इक यार मिला नहीं,
सांसे थमी तो पुरे जहां में दिलदार मिलें!!

©BABAPATHAKPURIYA
  #Gulaab #गुलाबी  #गुलाब #Kaa  #Ka #Gulaab #gulab #Ma #Ga #no  Anshu writer S__Shivani अखंड गरीब Riya Anuradha Sharma