दिखाता है हमारी ही छवि, यह अद्भुत आइना, लेकिन फिक्की सी लगे मोहे तेरी छवि, आईने में तेरी हूबहू छवि के आगे। जब सज सवर कर , खड़ी होती है आईने के सामने, तो यह आईना झूठ लगे हमें, तेरी खूबसूरती के आगे। दिल का ज़लज़ला है यह, जो तेरे बग़ैर कभी शांत ही ना होये, मसला यह मोहब्बत का है, तो तेरी सूरत भी सच्ची चाहिए हमें। जैसी तू है वैसी ही चाहिए हमें, ना चाहिए कोई बाहरी दिखावा, ना ही चाहिए कोई झूठा सजावा, तेरी सादगी में ही बसती है तेरी खूबसूरती, और तेरी इन्हीं सादगी के तो हम दीवाने हैं। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-960 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।