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पक्षी . एक पक्षी था, सीधा प्यारा, आँगन की आंखों क

पक्षी
.
एक पक्षी था, सीधा प्यारा,  आँगन की आंखों का तारा,
थे मोती नयन-नक्ष उसके, नभ का प्रकाश उजियारा सा,
सीधे साँसों में भरे उमंग,  पंखों में जीवन ज्ञान भरे,
और उड़ा मुड़ेली से ऐसे, कि गिरे तो गंगा स्नान करे,
वो रोज़ युहीं उड़ता, चुगता, सारी दुनिया फिरता, रुकता,
और ऐसे ही पूरा जीवन, ना ख़ुद डटता, ना ख़ुद बंटता,
फिर हुआ यूँ कि एक दिन उसने, उड़ना, चुगना सब छोड़ दिया,
आँगन में बिखरा था पक्षी, दिल उसका किसीने ने तोड़ दिया,
वो झल्लाया, फिर चिल्लाया,उड़ने की कोशिश नाकाम करी,
बस वहीं बिलख के फिर रोये, कभी राम कहे, कभी कहे हरि,
है तड़प रहा पर उठता नहीं, है सब आगे वो चुगता नहीं,
यादें उसको चुभ जाती हैं, कांटा कंकर कोई चुभता नहीं,
ना भोर निकाले ध्वनियों को, ना सांझ घरों को उड़ पाए,
बस तन्हा सोच रहा सब कुछ, आंसू आखों में उमड़ आए,
कोई लेप करे तो चीख पड़े, कोई लाड़ करे तो खो जाए,
वो एक साथ की खोज में है, जो मिले सदा को सो जाए |

©Shivam Nahar #hindikavita #kavita #Poetry #storytelling 

#MereKhayaal
पक्षी
.
एक पक्षी था, सीधा प्यारा,  आँगन की आंखों का तारा,
थे मोती नयन-नक्ष उसके, नभ का प्रकाश उजियारा सा,
सीधे साँसों में भरे उमंग,  पंखों में जीवन ज्ञान भरे,
और उड़ा मुड़ेली से ऐसे, कि गिरे तो गंगा स्नान करे,
वो रोज़ युहीं उड़ता, चुगता, सारी दुनिया फिरता, रुकता,
और ऐसे ही पूरा जीवन, ना ख़ुद डटता, ना ख़ुद बंटता,
फिर हुआ यूँ कि एक दिन उसने, उड़ना, चुगना सब छोड़ दिया,
आँगन में बिखरा था पक्षी, दिल उसका किसीने ने तोड़ दिया,
वो झल्लाया, फिर चिल्लाया,उड़ने की कोशिश नाकाम करी,
बस वहीं बिलख के फिर रोये, कभी राम कहे, कभी कहे हरि,
है तड़प रहा पर उठता नहीं, है सब आगे वो चुगता नहीं,
यादें उसको चुभ जाती हैं, कांटा कंकर कोई चुभता नहीं,
ना भोर निकाले ध्वनियों को, ना सांझ घरों को उड़ पाए,
बस तन्हा सोच रहा सब कुछ, आंसू आखों में उमड़ आए,
कोई लेप करे तो चीख पड़े, कोई लाड़ करे तो खो जाए,
वो एक साथ की खोज में है, जो मिले सदा को सो जाए |

©Shivam Nahar #hindikavita #kavita #Poetry #storytelling 

#MereKhayaal
shivamnahar5045

Shivam Nahar

Bronze Star
Growing Creator