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{जब मारती है मुझे} चोट तो मुझे लगती है तो तू क्य

 {जब मारती है मुझे}
चोट तो मुझे लगती है 
तो तू क्यों रो पड़ती है
वापस वही शरारत करने से क्यों रोकती है
मुझे मारने पर तुझे दर्द क्यों होता है

नही समझ पाई मै
नही समझ पाई....

{जन्मदिन पर}
मेरे पसंद की सारी चीजे बनाती और लाती हो
फिर अपने बारी पैसे क्यों बचाती हो
वापस से मेरे अगले जन्मदिन की तैयारी मे क्यों लग जाती हो

नही समझ पाई मै
नही समझ पाई....

©sakshi {shravani}
  #2ndpartof{nahi samjh payi}🤍

#2ndpartof{nahi samjh payi}🤍 #कविता

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