मैं टूटा और टूटे मेरे शब्द, मैं आधा औऱ आधी मेरी पंक्तियाँ, मैं पागल और पागल मेरी शायरीयाँ, बिखरा मैं ओर बिखरी मेरी कहानियाँ, अधूरा मै और अधूरी मेरी कविताएँ, जितनी रखु शब्दो मे सजकता व सहजताएँ, उतनी ही बिगड़ती जाए मेरी कविताएँ। ©Gaurav Dadhich #PoetryDay#कवितादिवस