देर से ही सही मगर संभल रहा हूँ। हाँ धीरे-धीरे अब मैं बदल रहा हूँ।। अन्धेरे की आड़ मैं मुझे पकड़ा था जिसने मेरी बुराइयों से मुझको जकड़ा था जिसने उस अतीत से आगे निकल रहा हूँ हाँ धीरे-धीरे अब मैं बदल रहा हूँ।। इस दुनिया की हकीक़त अब जान चुका हूँ कौन अपना-पराया सब पहचान चुका हूँ एक काँच से शीशे में ढल रहा हूँ हाँ धीरे-धीरे अब मैं बदल रहा हूँ।। अपनी ही कमजोरी का अहसास हुआ जब फिर कुछ खूबियों का भी आभास हुआ तब अपने दंभ को अब कुचल रहा हूँ हाँ धीरे-धीरे अब मैं बदल रहा हूँ।। एक चौराहा क्या आया वहीं अटक गया था उन अन्जानी सी राहों में कहीं भटक गया था अब एक नये पथ पर चल रहा हूँ हाँ धीरे-धीरे अब मैं बदल रहा हूँ।। ©ᗩᗰIT KOTᕼᗩᖇI🙃 #एक_नयी_शुरुआत #simplicity Nñ..Radha..Singh..Rajput I.A.S dreamerneha 🌟