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खामोशी अब रास आ गई जिंदगी अब पास आ गई न रही उम्मी

खामोशी अब रास आ गई
जिंदगी अब पास आ गई

न रही उम्मींद, शिकायत अब किसी से
खुद से ही अब मोहब्बत हो गई।

 दर्द का आलम कुछ इस तरह चलता रहा
 सहने की हमें अब आदत हो गई।

कांटो में भी अब चुभन महसूस नही होती
दर्द से दर्द तक का कुछ ऐसा रिश्ता बन गया।

©Konika
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Konika

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