न प्रमादश्च धर्मेषु कर्तव्यस्ते कथंचन।। धर्मों के पालन में तुम्हें कभी किसी तरह भी प्रमाद(आलस्य) नहीं करना चाहिए। - महाभारत, वनपर्व २९३/१३ #धर्मोरक्षतिरक्षित धर्म का पालन करें।