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प्रेम दिनचर्या की तरह ढलने लगा है, ना अरिनिमा को द

प्रेम दिनचर्या की तरह ढलने लगा है,
ना अरिनिमा को दोष दिया जा सकता है....
और ना ही संध्या को दोष दिया जा सकता है,
लेकिन प्रेमियो को प्रेम को समझना होगा.... 

प्रेम कोई वस्तू नहीं जिसे जब चाहा तब पा लो, 
और जब चाहो तो छोड़ दो.....
प्रेम राधा-कृष्ण सा हो,
जो अलग होकर भी हमेशा साथ है.....

लेकिन आजकल का प्रेम केवल मिथ्या पर जीवित है,
और मृत्यु सईया पे कब सो जाये पता भी ना चले....!!

©Sita Kumari #fake_love #shayari #poem✍🧡🧡💛 #thaughts #potery #potrylover


Darshan Raj 

#Love
प्रेम दिनचर्या की तरह ढलने लगा है,
ना अरिनिमा को दोष दिया जा सकता है....
और ना ही संध्या को दोष दिया जा सकता है,
लेकिन प्रेमियो को प्रेम को समझना होगा.... 

प्रेम कोई वस्तू नहीं जिसे जब चाहा तब पा लो, 
और जब चाहो तो छोड़ दो.....
प्रेम राधा-कृष्ण सा हो,
जो अलग होकर भी हमेशा साथ है.....

लेकिन आजकल का प्रेम केवल मिथ्या पर जीवित है,
और मृत्यु सईया पे कब सो जाये पता भी ना चले....!!

©Sita Kumari #fake_love #shayari #poem✍🧡🧡💛 #thaughts #potery #potrylover


Darshan Raj 

#Love