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सूरज की किरण चुराकर मैंने चेहरे का नूर पाया है स

सूरज की किरण चुराकर मैंने
 चेहरे का नूर पाया है
 संघर्ष ने मेरे जीवन को
 सुंदर कोहिनूर बनाया है
 इत्र गुलाब की खुशबू, वर्दी के सामने फिके है
 आसमा के सितारे सारे, कंधे पर मेरे टिके  है
 तहजीब न पूछो तुम मुझसे, ना कि मैंने नादानी है
 दहलीज छोड़ कर आई हूं, लिखनी अब नई कहानी है
 सिर पर सेहरे सा ताज मिला,
 नया जोश बुलंद आवाज मिला, 
 आंगन में नन्हीं चिड़िया को गाने को छोड़ आई हूं
 वर्दी के लिए कई रिश्तो को, मैं यूंही तोड़ आई हूं
 आजाद परिंदा ठहरी मैं,  पिंजड़े में बंध कर क्यों रहती? 
 वर्दी की तलब सी थी मुझको, चीथड़े मे तन कर क्यों रहती? 
 पीछे ना हटऊंगी वचन से मैं, 
 डरती ना हूं अब कफन से मैं
 जो मचल रही वह आंधी हूं
 अब कफन भी सिर पर बांधी हूं
 मुट्ठी में चंद सांसे लेकर, प्राणों को हाथ में रखा है
 मुझको ना भय शत्रु का है, तेरा प्रेम जो साथ में रखा है
 गर दर्द वतन को देंगे जो,  मैं उनसे भी लड़ जाऊंगी
 ममता की मूरत हो तो क्या? काली भी मैं बन जाऊंगी
 ना लो तुम मेरा इम्तिहान,
 ना होगा तेरा फिर बिहान
 हथियार से है श्रृंगार मेरी, ना देखती हूं, मैं अब दर्पण
 कतरा कतरा रक्त का भी, कर दिया मैंने तुझको अर्पण
-वर्मा प्रिया

©✍️verma priya #Poetry #Quote #Comedy #Music #Shayari #Love #SAD #my
सूरज की किरण चुराकर मैंने
 चेहरे का नूर पाया है
 संघर्ष ने मेरे जीवन को
 सुंदर कोहिनूर बनाया है
 इत्र गुलाब की खुशबू, वर्दी के सामने फिके है
 आसमा के सितारे सारे, कंधे पर मेरे टिके  है
 तहजीब न पूछो तुम मुझसे, ना कि मैंने नादानी है
 दहलीज छोड़ कर आई हूं, लिखनी अब नई कहानी है
 सिर पर सेहरे सा ताज मिला,
 नया जोश बुलंद आवाज मिला, 
 आंगन में नन्हीं चिड़िया को गाने को छोड़ आई हूं
 वर्दी के लिए कई रिश्तो को, मैं यूंही तोड़ आई हूं
 आजाद परिंदा ठहरी मैं,  पिंजड़े में बंध कर क्यों रहती? 
 वर्दी की तलब सी थी मुझको, चीथड़े मे तन कर क्यों रहती? 
 पीछे ना हटऊंगी वचन से मैं, 
 डरती ना हूं अब कफन से मैं
 जो मचल रही वह आंधी हूं
 अब कफन भी सिर पर बांधी हूं
 मुट्ठी में चंद सांसे लेकर, प्राणों को हाथ में रखा है
 मुझको ना भय शत्रु का है, तेरा प्रेम जो साथ में रखा है
 गर दर्द वतन को देंगे जो,  मैं उनसे भी लड़ जाऊंगी
 ममता की मूरत हो तो क्या? काली भी मैं बन जाऊंगी
 ना लो तुम मेरा इम्तिहान,
 ना होगा तेरा फिर बिहान
 हथियार से है श्रृंगार मेरी, ना देखती हूं, मैं अब दर्पण
 कतरा कतरा रक्त का भी, कर दिया मैंने तुझको अर्पण
-वर्मा प्रिया

©✍️verma priya #Poetry #Quote #Comedy #Music #Shayari #Love #SAD #my