कुछ हद तक सोचा फ़िर ये बात जहन तक अाई जिसे तू अपना समझता है क्या वो तुझे अपना मानता है तू हाल दिल का बयां करता है किसी से भी किसी वक़्त क्या वो तेरे जज़्बातों की क़दर करता है,, एक हद तक मैं उलझ पड़ा हूं इन बातों में हां मगर एक हद तक बेहद नहीं, मैं अपने हद तक सीमित हूं मैं विस्तृत नहीं।। जब इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने निकला मैं आवाज़ अाई दिल से शायद नहीं।। मेरे मन ने आज... #मेरामन #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi