Nojoto: Largest Storytelling Platform

बाहर से देखो तो खुशियां इन दीयों में, अंदर से बुझ

बाहर से देखो तो
खुशियां इन दीयों में,
अंदर से बुझ गए
तो मर कर कब तक जीयोगे ?
फुरसत हो खुद से जो
केह देना इस दिल को तुम,
जख्म जो छिल रहे
तुम आखिर कब तक सियोगे ?

©Satyam Sarv मर–मर कर कब तक जीयोगे ?
बाहर से देखो तो
खुशियां इन दीयों में,
अंदर से बुझ गए
तो मर कर कब तक जीयोगे ?
फुरसत हो खुद से जो
केह देना इस दिल को तुम,
जख्म जो छिल रहे
तुम आखिर कब तक सियोगे ?

©Satyam Sarv मर–मर कर कब तक जीयोगे ?
satyamsarv1245

Satyam Sarv

New Creator

मर–मर कर कब तक जीयोगे ? #Poetry