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"बप्पा के बाद" भोज ने मेवाड़ में शान्ति बनाए रखी,म

"बप्पा के बाद" 
भोज ने मेवाड़ में शान्ति बनाए रखी,महेंद्र की हत्या कर भीलों ने उनकी ज़मीन छीन ली।नाग केवल नागदा के आसपास अपना अधिकार बनाये रखा।शिलादित्य अधिक योग्य निकला उसने भीलों को हराकर अपनी भूमि बापस ली।अपराजित ने शिलादित्य का साथ दिया और गुहिलों का वर्चस्व बढाया।कालभोज के बारे में जानकारी नहीं ऐसा माना जाता है कि यशोवर्मन के सैन्य अभियानों में मदद की थी।खुम्मान को मुस्लिम आक्रमणकारियों को खदेड़ा किन्तु वे कौन थे ये विवादास्पद है।मत्तट से महायक तक का समय राष्ट्रकूटों,प्रतिहारों के साथ उलझने में गया और वे सामन्त बन कर रहे। 877 ई. से 926 ई. के बीच खुम्मान तृतीय ने गुहिल राजवंश को पुनः प्रतिष्ठित किया।भरतभट्ट ने इसे बनाये रखा।अल्लट ने देवपाल परमार को हराकर गुहिलों की सैन्य शक्ति को बढ़ाया।नरवाहन ने भी मेवाड़ को सुदृढ़ किया।
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शक्तिकुमार के शासनकाल में परमार नरेश मुंज ने चित्तोड़ के दुर्ग और आसपास के क्षेत्र को जीत लिया।
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परमारों को चालुक्यों ने हराकर चित्तोड़ पर अधिकार किया।अम्बाप्रसाद को चौहानों का सामने करते समय वाक्पतिराज से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त हुई।उसके बाद गुहिलों में कोई ऐसा शासक नहीं हुआ जो उनकी प्रतिष्ठा को बापस लाता।वैरि सिंह और उसके उत्तराधिकारी विजय सिंह ने जरूर आहड़ क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाए रखा।
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1171 ई. में सामन्त सिंह गद्दी पर बैठ जिसने 1174 ई. में चालुक्य नरेश अजयपाल को हराकर मेवाड़ को ख्याति दिलाई।कुछ बरसों बाद ही उसे जालौर के चौहान कीर्तिपाल ( कीतू ) के हाथों पराजित होकर भागना पड़ा।
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"बप्पा के बाद" 
भोज ने मेवाड़ में शान्ति बनाए रखी,महेंद्र की हत्या कर भीलों ने उनकी ज़मीन छीन ली।नाग केवल नागदा के आसपास अपना अधिकार बनाये रखा।शिलादित्य अधिक योग्य निकला उसने भीलों को हराकर अपनी भूमि बापस ली।अपराजित ने शिलादित्य का साथ दिया और गुहिलों का वर्चस्व बढाया।कालभोज के बारे में जानकारी नहीं ऐसा माना जाता है कि यशोवर्मन के सैन्य अभियानों में मदद की थी।खुम्मान को मुस्लिम आक्रमणकारियों को खदेड़ा किन्तु वे कौन थे ये विवादास्पद है।मत्तट से महायक तक का समय राष्ट्रकूटों,प्रतिहारों के साथ उलझने में गया और वे सामन्त बन कर रहे। 877 ई. से 926 ई. के बीच खुम्मान तृतीय ने गुहिल राजवंश को पुनः प्रतिष्ठित किया।भरतभट्ट ने इसे बनाये रखा।अल्लट ने देवपाल परमार को हराकर गुहिलों की सैन्य शक्ति को बढ़ाया।नरवाहन ने भी मेवाड़ को सुदृढ़ किया।
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शक्तिकुमार के शासनकाल में परमार नरेश मुंज ने चित्तोड़ के दुर्ग और आसपास के क्षेत्र को जीत लिया।
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परमारों को चालुक्यों ने हराकर चित्तोड़ पर अधिकार किया।अम्बाप्रसाद को चौहानों का सामने करते समय वाक्पतिराज से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त हुई।उसके बाद गुहिलों में कोई ऐसा शासक नहीं हुआ जो उनकी प्रतिष्ठा को बापस लाता।वैरि सिंह और उसके उत्तराधिकारी विजय सिंह ने जरूर आहड़ क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाए रखा।
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1171 ई. में सामन्त सिंह गद्दी पर बैठ जिसने 1174 ई. में चालुक्य नरेश अजयपाल को हराकर मेवाड़ को ख्याति दिलाई।कुछ बरसों बाद ही उसे जालौर के चौहान कीर्तिपाल ( कीतू ) के हाथों पराजित होकर भागना पड़ा।
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877 ई. से 926 ई. के बीच खुम्मान तृतीय ने गुहिल राजवंश को पुनः प्रतिष्ठित किया।भरतभट्ट ने इसे बनाये रखा।अल्लट ने देवपाल परमार को हराकर गुहिलों की सैन्य शक्ति को बढ़ाया।नरवाहन ने भी मेवाड़ को सुदृढ़ किया। : शक्तिकुमार के शासनकाल में परमार नरेश मुंज ने चित्तोड़ के दुर्ग और आसपास के क्षेत्र को जीत लिया। : परमारों को चालुक्यों ने हराकर चित्तोड़ पर अधिकार किया।अम्बाप्रसाद को चौहानों का सामने करते समय वाक्पतिराज से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त हुई।उसके बाद गुहिलों में कोई ऐसा शासक नहीं हुआ जो उनकी प्रतिष्ठा को बापस लाता।वैरि सिंह और उसके उत्तराधिकारी विजय सिंह ने जरूर आहड़ क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाए रखा। : 1171 ई. में सामन्त सिंह गद्दी पर बैठ जिसने 1174 ई. में चालुक्य नरेश अजयपाल को हराकर मेवाड़ को ख्याति दिलाई।कुछ बरसों बाद ही उसे जालौर के चौहान कीर्तिपाल ( कीतू ) के हाथों पराजित होकर भागना पड़ा। : #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण #divyansupathak #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1