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#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे घर जिम्मेदारी छोड़क

#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे
घर जिम्मेदारी छोड़कर
खोजते रहे दुखों का निवारण
वृक्ष के नीचे बैठकर

पर सोचा होगा कभी भी एक पल
क्या करती होगी यशोधरा
जो लिए निशानी गोद मे तेरी
कैसे बिताई होगी दिन अपना

नही सोचे होंगे एक पल भी
बुद्ध तुम तनिक भी उसके बारे में
तुम्हें पता था ' ओ स्त्री हैं '
नही भागेगी घर से अपने

बख़ूबी निभाएगी जिम्मेदारी अपनी
जो छोड़ आये हो उसके सिर पर
नही चाहती स्त्री कुछ भी
सिवाय पति के वचन निभाती

इसलिए हर स्त्री ब्रह्म हैं
निर्वाण मोक्ष नही उसको चाहिए
पुरुष कर्तब्य विमुख अधम एक जीव हैं
वचन तोड़कर घर छोड़कर ईश्वर से मिलने का उसको 
लीला नाटक करना चाहिए

ना पाया मोक्ष ना मिटाया दुःख ही
पुरुष अपने नौटनकी से
कर्तब्य निभाती स्त्री लगी है 
संसार को  मोक्ष दिलाने में ।। बुद्ध और यशोधरा
#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे
घर जिम्मेदारी छोड़कर
खोजते रहे दुखों का निवारण
वृक्ष के नीचे बैठकर

पर सोचा होगा कभी भी एक पल
क्या करती होगी यशोधरा
जो लिए निशानी गोद मे तेरी
कैसे बिताई होगी दिन अपना

नही सोचे होंगे एक पल भी
बुद्ध तुम तनिक भी उसके बारे में
तुम्हें पता था ' ओ स्त्री हैं '
नही भागेगी घर से अपने

बख़ूबी निभाएगी जिम्मेदारी अपनी
जो छोड़ आये हो उसके सिर पर
नही चाहती स्त्री कुछ भी
सिवाय पति के वचन निभाती

इसलिए हर स्त्री ब्रह्म हैं
निर्वाण मोक्ष नही उसको चाहिए
पुरुष कर्तब्य विमुख अधम एक जीव हैं
वचन तोड़कर घर छोड़कर ईश्वर से मिलने का उसको 
लीला नाटक करना चाहिए

ना पाया मोक्ष ना मिटाया दुःख ही
पुरुष अपने नौटनकी से
कर्तब्य निभाती स्त्री लगी है 
संसार को  मोक्ष दिलाने में ।। बुद्ध और यशोधरा

बुद्ध और यशोधरा #OpenPoetry