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"मैं और मेरी तन्हाई"पाँचवा भाग अगली सुबह जब मैं स्

"मैं और मेरी तन्हाई"पाँचवा भाग
अगली सुबह जब मैं स्कूल पहुँचा तो मेरे चेहरे पर एक अजीब सी खुशी लहर हिलोरे मार रही थी मैं, मैं नहीं था मैं कोई और ही था सुबह स्कूल पहुँचते ही उससे बात हुई बातों ही बातों में उसने पूँछा उस प्रोजेक्ट के बारे में ,मेरे होश उड़ चुके थे चेहरे की खुशी हवाइयाँ बनने लगीं मानो मैने दुनिया की सबसे बडी़ गलती कर दी हो मैं अपनी ही निगाहों से गिर सा गया उसी बीच मेरे मन में एक ख्याल आया
                          मैने अपना बना हुआ प्रोजेक्ट उसे देने का प्रस्ताव रखा जिससे उसका दिन न खराब हो वो भी मेरी वजह से मेरा क्या था प्रोजेक्ट बाद मे जमा कर सकता था भले अंक कम मिलते तो क्या?
                           पर होनी को कोई नहीं बदल सकता है मैं उसे समझ नहीं पाया उसने अपना प्रोजेक्ट खुद से तैयार कर लिया था और उसने मुझसे मेरा प्रोजेक्ट नहीं लिया हम दोनों ने अपने प्रोजेक्ट को जमा किया लेकिन अब मेरे मन मे कई सवाल गूँज रहे थे
क्या उसने मेरे साथ भी वही किया था जो अन्य के साथ करती थी? या
क्या यह मुझे समझने लगी थी?
इन प्रश्नों ने मुझे सोंचने पर मजबूर कर दिया मैं उसे समझ नहीं पा रहा था कि क्या हुआ?
पर एक बात तो थी कि उसने मेरे दिल और दिमाग में घर बना लिया था मैं अब न तो अपनी पढा़ई की चिन्ता कर रहा था न ही भविष्य की मुझे तो अब हर पल हर क्षण बस उसी का ख्याल था मैं प्रश्नों से घिरा था और प्रश्न भी उससे जुडे़ हुए थे मुझे इन प्रश्नों का जवाब चाहिए था जिसके लिए मैने एक योजना बनाई जो
 *प्रकाश* "मैं और मेरी तन्हाई"पाँचवा भाग
"मैं और मेरी तन्हाई"पाँचवा भाग
अगली सुबह जब मैं स्कूल पहुँचा तो मेरे चेहरे पर एक अजीब सी खुशी लहर हिलोरे मार रही थी मैं, मैं नहीं था मैं कोई और ही था सुबह स्कूल पहुँचते ही उससे बात हुई बातों ही बातों में उसने पूँछा उस प्रोजेक्ट के बारे में ,मेरे होश उड़ चुके थे चेहरे की खुशी हवाइयाँ बनने लगीं मानो मैने दुनिया की सबसे बडी़ गलती कर दी हो मैं अपनी ही निगाहों से गिर सा गया उसी बीच मेरे मन में एक ख्याल आया
                          मैने अपना बना हुआ प्रोजेक्ट उसे देने का प्रस्ताव रखा जिससे उसका दिन न खराब हो वो भी मेरी वजह से मेरा क्या था प्रोजेक्ट बाद मे जमा कर सकता था भले अंक कम मिलते तो क्या?
                           पर होनी को कोई नहीं बदल सकता है मैं उसे समझ नहीं पाया उसने अपना प्रोजेक्ट खुद से तैयार कर लिया था और उसने मुझसे मेरा प्रोजेक्ट नहीं लिया हम दोनों ने अपने प्रोजेक्ट को जमा किया लेकिन अब मेरे मन मे कई सवाल गूँज रहे थे
क्या उसने मेरे साथ भी वही किया था जो अन्य के साथ करती थी? या
क्या यह मुझे समझने लगी थी?
इन प्रश्नों ने मुझे सोंचने पर मजबूर कर दिया मैं उसे समझ नहीं पा रहा था कि क्या हुआ?
पर एक बात तो थी कि उसने मेरे दिल और दिमाग में घर बना लिया था मैं अब न तो अपनी पढा़ई की चिन्ता कर रहा था न ही भविष्य की मुझे तो अब हर पल हर क्षण बस उसी का ख्याल था मैं प्रश्नों से घिरा था और प्रश्न भी उससे जुडे़ हुए थे मुझे इन प्रश्नों का जवाब चाहिए था जिसके लिए मैने एक योजना बनाई जो
 *प्रकाश* "मैं और मेरी तन्हाई"पाँचवा भाग