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मोहब्बत हमसफ़र मेरी, मगर मंज़िल कहाँ मेरी उम्मीदों स

मोहब्बत हमसफ़र मेरी, मगर मंज़िल कहाँ मेरी
उम्मीदों से बनी दुनिया, बहारों से गुंथी दुनिया
सजी है मेरी आँखों में, मोहब्बत की हँसी दुनिया,,
धनक के रंग लेकर हम,महक कलियों की लेकर हम
मिलन की आस लेकर हम, करेंगे पार दरिया का
मिलेगा साथ बदल का, हवा के दोश  पर हमको
जमी होगी बर्फ जिनपर, बुलंदी उन पहाड़ों की 
 न रोकेगी कदम अपने ,कि दिल में है लगन अपने,,
अफ़क के पार जाना है
वहां एक है अपना, मेरा हमदम मेरा सपना
कि उसकी आँख पुर नम है, जुदाई का उसे गम है
वो मेरी राह तकता है, मगर मिलने से डरता है
गुमान एक दिल में आता है, अंदेशा सर उठाता है
अफ़क के पार जाकर भी, मिला न गर कोई अपना
.....मुसाफत बे समर मेरी
मोहब्बत हमसफ़र मेरी...
                        - "अक्स " #Mohabbat_Humsafar_Meri
मोहब्बत हमसफ़र मेरी, मगर मंज़िल कहाँ मेरी
उम्मीदों से बनी दुनिया, बहारों से गुंथी दुनिया
सजी है मेरी आँखों में, मोहब्बत की हँसी दुनिया,,
धनक के रंग लेकर हम,महक कलियों की लेकर हम
मिलन की आस लेकर हम, करेंगे पार दरिया का
मिलेगा साथ बदल का, हवा के दोश  पर हमको
जमी होगी बर्फ जिनपर, बुलंदी उन पहाड़ों की 
 न रोकेगी कदम अपने ,कि दिल में है लगन अपने,,
अफ़क के पार जाना है
वहां एक है अपना, मेरा हमदम मेरा सपना
कि उसकी आँख पुर नम है, जुदाई का उसे गम है
वो मेरी राह तकता है, मगर मिलने से डरता है
गुमान एक दिल में आता है, अंदेशा सर उठाता है
अफ़क के पार जाकर भी, मिला न गर कोई अपना
.....मुसाफत बे समर मेरी
मोहब्बत हमसफ़र मेरी...
                        - "अक्स " #Mohabbat_Humsafar_Meri