तुम्हें जो मुझसे इश्क़ है, वो असर काहे का नज़दीकियों में जो है फ़ासले , वो नज़र काहे का क्यों धड़कनों में है शोर ,बेचैनी और बेरुखी ए दिल उल्फ़त में बदल जाये तो ,वो बशर काहे का #पारस #इश्क़ #बशर