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फ़स्ल -ए- गुल बीत गया, आगमन शरद ऋतु का हुआ, कुहासे

फ़स्ल -ए- गुल बीत गया, आगमन शरद ऋतु का हुआ,
कुहासे की दौशाला ने,ऐ प्रकृति जिस्म तेरा ओढ़ लिया,
शम्स की हिद्दत-ए-ताब को मध्यम किया,
जैसे चुपके से कोई आंख-मिचोली हो खेल रहा। फ़स्ल -ए- गुल: बाहर का मौसम
हिद्दत-ए-ताब: तपिश और चमक
शम्स: सूरज

🌝प्रतियोगिता-103 🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️
फ़स्ल -ए- गुल बीत गया, आगमन शरद ऋतु का हुआ,
कुहासे की दौशाला ने,ऐ प्रकृति जिस्म तेरा ओढ़ लिया,
शम्स की हिद्दत-ए-ताब को मध्यम किया,
जैसे चुपके से कोई आंख-मिचोली हो खेल रहा। फ़स्ल -ए- गुल: बाहर का मौसम
हिद्दत-ए-ताब: तपिश और चमक
शम्स: सूरज

🌝प्रतियोगिता-103 🌝
 
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mrsrosysumbriade8729

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