मेरी रचना :-संभाल कर रखना भारत माता की जय बोलते बोलते माॅं को ही सरे बाजार में बेचने चले हैं संभाल कर रखना अपनी बहन- बेटियों की आबरू को अपने हिस्सों की जमीनों के टुकड़ों को वतन परस्ती का ढोल पीटने वाले निरंकुश होकर अब सड़कों पर आतातायी बनकर मातृभूमि का चोला उतारने चले हैं शिखंडीओं की नाजायज पौरूष विहीन होकर सत्ता अब अपनी ही जल, जंगल और जमीन का सौदा करके सोना, चांदी और हीरों से अपना पेट पालने चले हैं। #स्मिता जैन ©Smita Jain #संभाल कर रखना