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।।श्री हरिः।। 45 - खायेगा? 'खायेगा!' कन्हाई के हा

।।श्री हरिः।।
45 - खायेगा?

'खायेगा!' कन्हाई के हाथ में मोदक है। केशर-पीत, खूब बड़ा-सा मोदक! बूंदी का बना ऐसा मोदक जिसे देखकर ही क्षुधा जाग जाय और फिर श्याम के हाथ का मोदक प्राप्त करने को तो स्वर्ग के देवता भी क्षुधातुर हो जायेंगे। मधुमंगल का तो सबसे प्रिय आहार है मोदक।

सखाओं ने भरपूर शृंगार किया है ब्रजराज-कुमार का। अलकों से लेकर चरणों तक पुष्प-गुच्छ, गुञ्जा, किसलय, पिच्छ आदि से इसे सजाया है। इसके सम्पूर्ण शरीर को गैरिक, रामरज, खड़िया आदि से ऐसा चित्रित किया है कि यह चित्र-मन्दिर ही बन गया है।

सजाया है सबने और कन्हाई ने भी मधुमंगल को भी; किन्तु मधुमंगल के शरीर पर सबों ने बहुत अटपटे चित्र बनाये हैं। उदर पर मुख फाड़े पीली रेखाओं से कपि बना है तो पीठपर घड़ियाल बना दिया है। दोनों कपोलों पर कनखजूरे ऐसे बनाये हैं जैसे वे इसके कर्ण-छिद्रों में प्रवेश करने जा रहे हों।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

।।श्री हरिः।। 45 - खायेगा? 'खायेगा!' कन्हाई के हाथ में मोदक है। केशर-पीत, खूब बड़ा-सा मोदक! बूंदी का बना ऐसा मोदक जिसे देखकर ही क्षुधा जाग जाय और फिर श्याम के हाथ का मोदक प्राप्त करने को तो स्वर्ग के देवता भी क्षुधातुर हो जायेंगे। मधुमंगल का तो सबसे प्रिय आहार है मोदक। सखाओं ने भरपूर शृंगार किया है ब्रजराज-कुमार का। अलकों से लेकर चरणों तक पुष्प-गुच्छ, गुञ्जा, किसलय, पिच्छ आदि से इसे सजाया है। इसके सम्पूर्ण शरीर को गैरिक, रामरज, खड़िया आदि से ऐसा चित्रित किया है कि यह चित्र-मन्दिर ही बन गया है। सजाया है सबने और कन्हाई ने भी मधुमंगल को भी; किन्तु मधुमंगल के शरीर पर सबों ने बहुत अटपटे चित्र बनाये हैं। उदर पर मुख फाड़े पीली रेखाओं से कपि बना है तो पीठपर घड़ियाल बना दिया है। दोनों कपोलों पर कनखजूरे ऐसे बनाये हैं जैसे वे इसके कर्ण-छिद्रों में प्रवेश करने जा रहे हों।

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