एक आख़री बार तुझे नज़रों में उतार लूँ न जाने मिलना हो कब फिर इस राह से तू आगे बढ़ जाएगा मैं लौट जाऊंगा तन्हाईओं को साया कर एक आखरी बार संग ले चलूँ तेरी परछाईयों को पलट जाना भी होता है मुसाफ़िर को हमेशा रास्ता मंज़िल पे ले ही जाए ज़रूरी तो नहीं होता। #पलटआ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #yqquotes #yqtales #yqlove