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दिलो का बाजार लगा है इश्क की गलियों में हाथ मुझस

दिलो का बाजार लगा है इश्क की गलियों में 

हाथ मुझसे छूट गया उसका उस रात गलियों में।

जब पता चला मेरा हाथ पकड़ना तो एक बहाना था उसे डर लगता था रातों से ,

वो किसी गैर से मिलने जाती थी उन सुनसान गलियों मे।।

©Pankaj
  #Pankaj #HearttouchingShayri
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Pankaj

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