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नहीं इतना ज़रूरी कभी हुआ ही नहीं मैं, पर इस रिश्ते

नहीं इतना ज़रूरी कभी हुआ ही नहीं मैं, पर इस रिश्ते की ख़ातिर वो लड़ेगा क्या

उसकी ख़्वाहिश थी के मैं न उलझू उससे, गर मैं पीछे भी हट जाऊँ वो बढ़ेगा क्या

उसको कहाँ कोई ख़ुशी थी मेरे होने से, मेरी गैरमौजूदगी में फिर वो तड़पेगा क्या

सब भूलाकर मेरा उसके पीछे पड़े होना, और अब बातें तक न करना उसको खलेगा क्या

बगैर उसके मैं खुश हूँ मेरा ऐसा जताना, उसके एहसास को मेरे लिए बदलेगा क्या

बचकानी मेरी बातें, उस पर हँसना मेरा, तकलीफ़ मुझको भी थी वो समझेगा क्या

वो कहता था उसको ज़रूरत नहीं है मेरी, आख़िर इस ग़ैर के साथ वो करेगा क्या
(सम्राट) दिल की बात
शायरी के साथ
नहीं इतना ज़रूरी कभी हुआ ही नहीं मैं, पर इस रिश्ते की ख़ातिर वो लड़ेगा क्या

उसकी ख़्वाहिश थी के मैं न उलझू उससे, गर मैं पीछे भी हट जाऊँ वो बढ़ेगा क्या

उसको कहाँ कोई ख़ुशी थी मेरे होने से, मेरी गैरमौजूदगी में फिर वो तड़पेगा क्या

सब भूलाकर मेरा उसके पीछे पड़े होना, और अब बातें तक न करना उसको खलेगा क्या

बगैर उसके मैं खुश हूँ मेरा ऐसा जताना, उसके एहसास को मेरे लिए बदलेगा क्या

बचकानी मेरी बातें, उस पर हँसना मेरा, तकलीफ़ मुझको भी थी वो समझेगा क्या

वो कहता था उसको ज़रूरत नहीं है मेरी, आख़िर इस ग़ैर के साथ वो करेगा क्या
(सम्राट) दिल की बात
शायरी के साथ