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शान्ति कैसी, छा रही, वातावरण

शान्ति कैसी, छा रही,
                     वातावरण में अजब उदासी
तृप्ति कैसी रो रही, 
                        सारी धरा ही आज प्यासी
ध्यान तक विश्राम का ,
                             पथ पर महान अनर्थ होगा
ऋण न युग का दे सका तो ,
                                 जन्म लेना व्यर्थ होगा।
        इसलिए ही आज युग की आग ,
                                       अपने राग में भर-
गीत नूतन गा रहा हूँ पर     
                       पर तुम्हें भूला नहीं हूँ।
Suraj Chaubey #ध्यान तक #विश्राम का #पथ पर #महान अनर्थ होगा
#ऋण न #युग का दे सका तो #जन्म लेना व्यर्थ होगा।
शान्ति कैसी, छा रही,
                     वातावरण में अजब उदासी
तृप्ति कैसी रो रही, 
                        सारी धरा ही आज प्यासी
ध्यान तक विश्राम का ,
                             पथ पर महान अनर्थ होगा
ऋण न युग का दे सका तो ,
                                 जन्म लेना व्यर्थ होगा।
        इसलिए ही आज युग की आग ,
                                       अपने राग में भर-
गीत नूतन गा रहा हूँ पर     
                       पर तुम्हें भूला नहीं हूँ।
Suraj Chaubey #ध्यान तक #विश्राम का #पथ पर #महान अनर्थ होगा
#ऋण न #युग का दे सका तो #जन्म लेना व्यर्थ होगा।