अमृत की अभिलाषा जिनको, सागर मंथन करना होगा। इतिहास रचाना हैं जिनको,मरकर के अमर बनना होगा। यदि अमृत की है चाह तुम्हे,तो शिव बनकर विष को पी जाओ। भगवान यदि बनना है तो विद्यासागर बनना होगा। अरिहंतिका जैन ©Arihantika Jain aaru गुरूदेव