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भटकते सालों बीत गए कोई तो राह बता दो अब तो चाहत ह

भटकते सालों बीत गए
कोई तो राह बता दो 
अब तो चाहत है भगवान को जानने की , कोई तो मन्दिर बता दो ,
अब तो चाहत है खुशगवार जिंदगी की, कोई तो राह बता दो।
थक गए चलते चलते 
कोई तो राह बता दो
अब तो चाहत है ख्वाहिश ही मिटा दूं सारी , कोई तो रबड़ दिला दो,
अब तो चाहत है एक जुड़ जाऊ किसी धागे से , कोई तो वो डोर दिखा दो ।
मन उलझनों में है कब से
कोई तो राह बता दो
जो विचलित न हो तूफानों से भी , कोई तो ऐसा धीर बता दो 
अब तो चाहत है कोई समझ मुझे भी , कोई तो ऐसा दिलगीर बता दो ।
स्वार्थ की पहचान हो सके जिससे 
कोई तो राह बता दो 
जो बांट सके खुशियों को लोगों में , कोई तो ऐसा अमीर बता दो 
आज ढूढ़ रही ख़ुद में ही किसी ख़ास को , कोई तो ऐसा तासीर बता दो ।
©कवित्त कलश कोई तो बता दो
भटकते सालों बीत गए
कोई तो राह बता दो 
अब तो चाहत है भगवान को जानने की , कोई तो मन्दिर बता दो ,
अब तो चाहत है खुशगवार जिंदगी की, कोई तो राह बता दो।
थक गए चलते चलते 
कोई तो राह बता दो
अब तो चाहत है ख्वाहिश ही मिटा दूं सारी , कोई तो रबड़ दिला दो,
अब तो चाहत है एक जुड़ जाऊ किसी धागे से , कोई तो वो डोर दिखा दो ।
मन उलझनों में है कब से
कोई तो राह बता दो
जो विचलित न हो तूफानों से भी , कोई तो ऐसा धीर बता दो 
अब तो चाहत है कोई समझ मुझे भी , कोई तो ऐसा दिलगीर बता दो ।
स्वार्थ की पहचान हो सके जिससे 
कोई तो राह बता दो 
जो बांट सके खुशियों को लोगों में , कोई तो ऐसा अमीर बता दो 
आज ढूढ़ रही ख़ुद में ही किसी ख़ास को , कोई तो ऐसा तासीर बता दो ।
©कवित्त कलश कोई तो बता दो
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कोई तो बता दो #कविता