Alcohol ये शराब नहीं है जनाब ये तो बस दुखों की साथी हैं जिसे बस हमसे सिर्फ हमसे निभानी आती हैं शबाब के नशे को भी फिका कर दें यें शबाब के नशे को भी फिका कर दें यें जब नशे इसकें अलफाजों में जुबानी आती हैं मीठा मीठा सरूर बाँधती हैं तब ये मीठा मीठा सरूर बाँधती हैं तब ये जब नशे इसके बाहर से रवानी आती हैं बस इक बात में कहता हूँ ये शराब नहीं है जनाब ये तो बस दुखों की साथी हैं Ranjha Yaar