बाजुओं में खींच कर आ जायेगी जैसे जन्नत अपने बच्चे के लिए ऐसे बाँह फैलाती है माँ घुटने से रेंगते,रेंगते कब पैरों पर खड़ी हुई तेरी ममता के छाँव में जाने कब बड़ी हुई आज भी सब कुछ वैसा ही है,मैं ही मैं हूँ सब जगह माँ प्यार ये तेरा कैसा है! सीधी-साधी,भोली-भाली,मैं ही सबसे अच्छी हूँ ये तेरी कैसी माया है! कितनी भी हो जाऊं बड़ी,मैं आज भी तुम्हारी बच्ची हूँ हर मर्ज की दवा होती है माँ कभी डांटती,कभी गले लगा लेती है माँ मेरे आँखों का आँसू अपने में समा लेती है माँ अपने होंठों की हंसी हमपे लूटा देती है माँ मेरी खुशियों में शामिल होकर अपने गम भुला देती है माँ जब कभी मुझे ठोकर लगती है,मुझे तुरंत याद आती है माँ रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ लफ्जों में जिसे बयाँ नहीं किया जा सकता, ऐसी होती है माँ भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैं, वो होती है माँ यह रचना मेरी पुत्री ने अपनी माँ को समर्पित किया है।मैं अनुवादक हूँ।। #cinemagraph #सच्ची #विप्रणु #yqdidi #love #poetry #pink #kumarrameshrahi