मेरे बाहर-भीतर चारों तरफ एक सा अनजाना शोर है, आज जो उठ रही उँगली दूसरों पर कल वो मेरी ओर है। बाहर की सुनूँ या भीतर की करूँ अजीब कशमकश में हूँ, देखता हूँ इस उलझी हुई ज़िंदगी की कहाँ से शुरू डोर है। रास्ता नहीं मिलता कहीं भी,बियाबान में भटकता रहता हूँ, भूल भुलैया हो गई जीस्त मेरी जाने किधर इसका छोर है। यूँ ना उलझ बेकार की बातों में 'अनाम' वक़्त बीत जाएगा, कुछ नहीं होगा सोचने से, हर कोई यहाँ वक़्त का चोर है। One more bakwaas 😌 #pnpabhivyakti #pnpabhivyakti26 #pnphindi