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हालात फिर कैसॆ मंज़र बो रहॆ हैं... कि,हम जैसे लोग

हालात फिर कैसॆ मंज़र बो रहॆ हैं...
कि,हम जैसे लोग सादग़ी खो रहॆ हैंं..।

चौकीदार कुछ ज्यादा ही जागता है...
कितने लोग रोज चिता पे सो रहॆ हैं..।

मरने वाला शख़्स कब का मर चुका है...
ये सब लोग अपना रोना रो रहॆ हैं..।

आँसू नहीं है ये, दिल हलका मत करो...
हम तो, सुनो,आदतन आँख धो रहॆ हैं..।

फिर कब तक मौत को मना करते ‘ख़ब्तुल’...
रुको थोड़ी देर तैयार हो रहॆ हैं..।


                                          - ख़ब्तुल
                                      संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 हालात
हालात फिर कैसॆ मंज़र बो रहॆ हैं...
कि,हम जैसे लोग सादग़ी खो रहॆ हैंं..।

चौकीदार कुछ ज्यादा ही जागता है...
कितने लोग रोज चिता पे सो रहॆ हैं..।

मरने वाला शख़्स कब का मर चुका है...
ये सब लोग अपना रोना रो रहॆ हैं..।

आँसू नहीं है ये, दिल हलका मत करो...
हम तो, सुनो,आदतन आँख धो रहॆ हैं..।

फिर कब तक मौत को मना करते ‘ख़ब्तुल’...
रुको थोड़ी देर तैयार हो रहॆ हैं..।


                                          - ख़ब्तुल
                                      संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 हालात