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रिश्तों का बाजार..... ©Asheesh indian मैंने रिश

रिश्तों का बाजार.....

©Asheesh indian
  मैंने रिश्तों के बाजार में अक्सर देखा है जो इंसान जितना ज्यादा रिश्तों को बचाने के लिए झुकता है वो इंसान लोगों की नजर में उतना ही बुरा होता है फिर रास्ते में उड़ने वाली धूल के समान व्यक्ति भी उस इंसान के जीवन में त्रिशूल की तरह चुभने लगता है और रिश्तों को लेकर चलने वाला व्यक्ति कहीं पतझड़ में झड़ने वाले पत्तों की तरह सूखकर या तो रिश्तों को बचाते बचाते कहीं पीछे छूट जाता है या कहीं जलकर राख हो जाता है, लेकिन रिश्तों के बाजार में जो इंसान चाटुकार, या उत्प्रेक्षा वाला होता है उसे तनिक भी ये भान नहीं रहता कि जो इंसान रिश्तों की खातिर झुका उसने शुरू से अंत तक आपको रिश्तों में सिर्फ प्रेम की छांव ही दी है और कुछ नहीं, क्योंकि ऐसे इंसान के पास आपको रिश्तों में मान , सम्मान , प्रेम , आदरभाव के अलावा कुछ और देने के लिए होता भी नहीं है ऐसे व्यक्ति आपको रिश्तों की छांव दे सकते हैं, चलने( आगे बड़ने) के लिए पांव (हौसला) दे सकते हैं, बसने (यानी , बुरे वक्त में) के लिए गांव(आपका साथ) दे सकते हैं, सर से पांव दे सकते हैं (यानी, आपके अच्छे , बुरे वक्त में आपका साथ दे सकते हैं)
ऐसे लोगों के आत्मसम्मान/स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ न करें क्योंकि अगर ये एक बार आपको छोड़ने का मन बना लें तो आपको इनके छोड़ने से पहले, आपके अपने ही छोड़ सकते हैं
✍️✍️Asheesh Indian 
#sparsh

मैंने रिश्तों के बाजार में अक्सर देखा है जो इंसान जितना ज्यादा रिश्तों को बचाने के लिए झुकता है वो इंसान लोगों की नजर में उतना ही बुरा होता है फिर रास्ते में उड़ने वाली धूल के समान व्यक्ति भी उस इंसान के जीवन में त्रिशूल की तरह चुभने लगता है और रिश्तों को लेकर चलने वाला व्यक्ति कहीं पतझड़ में झड़ने वाले पत्तों की तरह सूखकर या तो रिश्तों को बचाते बचाते कहीं पीछे छूट जाता है या कहीं जलकर राख हो जाता है, लेकिन रिश्तों के बाजार में जो इंसान चाटुकार, या उत्प्रेक्षा वाला होता है उसे तनिक भी ये भान नहीं रहता कि जो इंसान रिश्तों की खातिर झुका उसने शुरू से अंत तक आपको रिश्तों में सिर्फ प्रेम की छांव ही दी है और कुछ नहीं, क्योंकि ऐसे इंसान के पास आपको रिश्तों में मान , सम्मान , प्रेम , आदरभाव के अलावा कुछ और देने के लिए होता भी नहीं है ऐसे व्यक्ति आपको रिश्तों की छांव दे सकते हैं, चलने( आगे बड़ने) के लिए पांव (हौसला) दे सकते हैं, बसने (यानी , बुरे वक्त में) के लिए गांव(आपका साथ) दे सकते हैं, सर से पांव दे सकते हैं (यानी, आपके अच्छे , बुरे वक्त में आपका साथ दे सकते हैं) ऐसे लोगों के आत्मसम्मान/स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ न करें क्योंकि अगर ये एक बार आपको छोड़ने का मन बना लें तो आपको इनके छोड़ने से पहले, आपके अपने ही छोड़ सकते हैं ✍️✍️Asheesh Indian #sparsh #Thoughts

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