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गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हें यूं ही मुसाफ़िरों की

गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हें 
यूं ही मुसाफ़िरों की तरह...
और यादें वहीं खड़ी रहती है
बेजान से रास्तों की तरह....

हिंदी सीखते-सीखते गणित
शायद कमजोर ही रही मेरी
तुम सजती-संवरती घंटों-भर
मेरी तारीफ़ सैकण्डों की तरह..

अल्फाज़ों के दीवाने जहां में
धन देकर महफ़िल सजती है
परन्तु मेरी खामोशियों को भी 
समझा अल्फाज़ों की तरह..

तुमसे प्रेम रुहानी-सा है रूह से
नादानियों को नजरंदाज किया
हे जिंदगी तेरा एहसानमंद हूँ मैं
प्रयास प्रेम लिखूं प्रेम की तरह..

©Anil Ray 🖤🖤🔥 सपने मिट्टी में मिल गये  🔥🖤🖤


"माँ! बहिन की शादी को थोड़ा आगे बढ़ा दो, अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाएगा, मैं किसी तरह यहाँ का सामान बेचकर पापा के ऑपरेशन के पैसे भेजता हूँ।" बेटे ने फोन पर कहा । 

"ऐसा क्या हो गया सुमित बेटा ?" माँ ने घबराते हुए पूछा। 

"बहुत कुछ बदल गया माँ । मेरी नौकरी चली गई।"

"तू तो कह रहा था कि शेख बहुत अच्छा है । तुम्हारे साथ बैठकर खाना खाता है। तू उसके लड़के को हिन्दी भी सीखा रहा था।" माँ ने कहा। 

"मैं ही नहीं , नौकरी तो और भी कई लोगों की जाने वाली है।"

"पर ऐसा क्या हो गया ?"

"माँ ! ये लोग गाली देते नहीं है तो गाली खाने के आदि भी नहीं हैं । पहले हमारी संसद में उनकी कौम को गाली दी और फिर मीडिया में भी कई एंकरों ने नफरत परोस दी । बस फिर क्या था अल-हिंदिया का बहिष्कार शुरू हो गया ।" सुमित बोला। 

"पर गाली तो यहाँ दी थी।" माँ ने कहा। 

"माँ! अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है, लोग सोशल मीडिया हर जगह देखते हैं। लोग भूल रहे हैं कि 90 लाख लोग यहाँ के मुल्कों में काम करते हैं। हमारे तो सारे सपने मिट्टी में मिल गए।" और बेटे सुमित ने फोन काट दिया। 

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

#Anil_Ray 
#Anil_Kalam 
#thought 
#hatred 
#Parliament 
#Rudelanguage
#Nojoto 
#nojotohindipoetry 
#globalization 
#ishaq
गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हें 
यूं ही मुसाफ़िरों की तरह...
और यादें वहीं खड़ी रहती है
बेजान से रास्तों की तरह....

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शायद कमजोर ही रही मेरी
तुम सजती-संवरती घंटों-भर
मेरी तारीफ़ सैकण्डों की तरह..

अल्फाज़ों के दीवाने जहां में
धन देकर महफ़िल सजती है
परन्तु मेरी खामोशियों को भी 
समझा अल्फाज़ों की तरह..

तुमसे प्रेम रुहानी-सा है रूह से
नादानियों को नजरंदाज किया
हे जिंदगी तेरा एहसानमंद हूँ मैं
प्रयास प्रेम लिखूं प्रेम की तरह..

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"माँ! बहिन की शादी को थोड़ा आगे बढ़ा दो, अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाएगा, मैं किसी तरह यहाँ का सामान बेचकर पापा के ऑपरेशन के पैसे भेजता हूँ।" बेटे ने फोन पर कहा । 

"ऐसा क्या हो गया सुमित बेटा ?" माँ ने घबराते हुए पूछा। 

"बहुत कुछ बदल गया माँ । मेरी नौकरी चली गई।"

"तू तो कह रहा था कि शेख बहुत अच्छा है । तुम्हारे साथ बैठकर खाना खाता है। तू उसके लड़के को हिन्दी भी सीखा रहा था।" माँ ने कहा। 

"मैं ही नहीं , नौकरी तो और भी कई लोगों की जाने वाली है।"

"पर ऐसा क्या हो गया ?"

"माँ ! ये लोग गाली देते नहीं है तो गाली खाने के आदि भी नहीं हैं । पहले हमारी संसद में उनकी कौम को गाली दी और फिर मीडिया में भी कई एंकरों ने नफरत परोस दी । बस फिर क्या था अल-हिंदिया का बहिष्कार शुरू हो गया ।" सुमित बोला। 

"पर गाली तो यहाँ दी थी।" माँ ने कहा। 

"माँ! अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है, लोग सोशल मीडिया हर जगह देखते हैं। लोग भूल रहे हैं कि 90 लाख लोग यहाँ के मुल्कों में काम करते हैं। हमारे तो सारे सपने मिट्टी में मिल गए।" और बेटे सुमित ने फोन काट दिया। 

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#ishaq
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator

🖤🖤🔥 सपने मिट्टी में मिल गये 🔥🖤🖤 "माँ! बहिन की शादी को थोड़ा आगे बढ़ा दो, अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाएगा, मैं किसी तरह यहाँ का सामान बेचकर पापा के ऑपरेशन के पैसे भेजता हूँ।" बेटे ने फोन पर कहा । "ऐसा क्या हो गया सुमित बेटा ?" माँ ने घबराते हुए पूछा। "बहुत कुछ बदल गया माँ । मेरी नौकरी चली गई।" "तू तो कह रहा था कि शेख बहुत अच्छा है । तुम्हारे साथ बैठकर खाना खाता है। तू उसके लड़के को हिन्दी भी सीखा रहा था।" माँ ने कहा। "मैं ही नहीं , नौकरी तो और भी कई लोगों की जाने वाली है।" "पर ऐसा क्या हो गया ?" "माँ ! ये लोग गाली देते नहीं है तो गाली खाने के आदि भी नहीं हैं । पहले हमारी संसद में उनकी कौम को गाली दी और फिर मीडिया में भी कई एंकरों ने नफरत परोस दी । बस फिर क्या था अल-हिंदिया का बहिष्कार शुरू हो गया ।" सुमित बोला। "पर गाली तो यहाँ दी थी।" माँ ने कहा। "माँ! अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है, लोग सोशल मीडिया हर जगह देखते हैं। लोग भूल रहे हैं कि 90 लाख लोग यहाँ के मुल्कों में काम करते हैं। हमारे तो सारे सपने मिट्टी में मिल गए।" और बेटे सुमित ने फोन काट दिया। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ #Anil_Ray #Anil_Kalam #thought #hatred #Parliament #Rudelanguage # #nojotohindipoetry #globalization #ishaq #कविता