🖤🖤🔥 सपने मिट्टी में मिल गये 🔥🖤🖤
"माँ! बहिन की शादी को थोड़ा आगे बढ़ा दो, अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाएगा, मैं किसी तरह यहाँ का सामान बेचकर पापा के ऑपरेशन के पैसे भेजता हूँ।" बेटे ने फोन पर कहा ।
"ऐसा क्या हो गया सुमित बेटा ?" माँ ने घबराते हुए पूछा।
"बहुत कुछ बदल गया माँ । मेरी नौकरी चली गई।"
"तू तो कह रहा था कि शेख बहुत अच्छा है । तुम्हारे साथ बैठकर खाना खाता है। तू उसके लड़के को हिन्दी भी सीखा रहा था।" माँ ने कहा।
"मैं ही नहीं , नौकरी तो और भी कई लोगों की जाने वाली है।"
"पर ऐसा क्या हो गया ?"
"माँ ! ये लोग गाली देते नहीं है तो गाली खाने के आदि भी नहीं हैं । पहले हमारी संसद में उनकी कौम को गाली दी और फिर मीडिया में भी कई एंकरों ने नफरत परोस दी । बस फिर क्या था अल-हिंदिया का बहिष्कार शुरू हो गया ।" सुमित बोला।
"पर गाली तो यहाँ दी थी।" माँ ने कहा।
"माँ! अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है, लोग सोशल मीडिया हर जगह देखते हैं। लोग भूल रहे हैं कि 90 लाख लोग यहाँ के मुल्कों में काम करते हैं। हमारे तो सारे सपने मिट्टी में मिल गए।" और बेटे सुमित ने फोन काट दिया।
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