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पेट से मज़बूर हैं,घर से दूर हैं हैं मुफ़्लिस,बस यही

पेट से मज़बूर हैं,घर से दूर हैं
हैं मुफ़्लिस,बस यही कुसूर हैं

अपनों के लिए जीते हैं,मर-मर के
हैं जो अपने,वो बहुत दूर हैं

फुटपाथ पे जो सोये हैं वो
रात की गोद में,दिन के मज़दूर हैं

जैसे तैसे जिना हैं,यहाँ अब 
यही हैं दुनिया,यही दस्तूर हैं #yqbaba#yqdidi#muflisi
पेट से मज़बूर हैं,घर से दूर हैं
हैं मुफ़्लिस,बस यही कुसूर हैं

अपनों के लिए जीते हैं,मर-मर के
हैं जो अपने,वो बहुत दूर हैं

फुटपाथ पे जो सोये हैं वो
रात की गोद में,दिन के मज़दूर हैं

जैसे तैसे जिना हैं,यहाँ अब 
यही हैं दुनिया,यही दस्तूर हैं #yqbaba#yqdidi#muflisi