पल भर के लिए चल एक ख्वाब झुठी बुन लेते हैं तुझे मान के धड़कन, दिल को एक बार फिर से धड़काते हैं शायद धड़कनों में, अब भी कुछ बात हो जाए शायद इसे जिन्दा रहने की, कोई आस मिल जाए । पल भर के लिए