शहर को जानना ज़रूरी है बसर करने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है कुछ बनने से पहले। संघर्ष ही संघर्ष भरे हुए हैं जीवन के हर मोड़ में, जीवन पर्यंत बस दौड़ रहे कुछ पाने की होड़ में। दौलत के वशीभूत होकर इंसान ख़ुद को भूल रहा, धन दौलत के तराज़ू में बरबस ख़ुद को तौल रहा। लालच के सामने अब प्यार का कहां मोल रहा, "तेरे-मेरे" की तकरार रिश्तों में कड़वाहट घोल रहा। जीवन तो एक कठिन परिक्षा है आत्म संयम की, घड़ा एक दिन फूट ही जाता है "मैं" के अहम की। इंसान तो कठपुतली है ऊपरवाले की सब माया है, सब्र को जिसने पार पा लिया उसी ने सब पाया है। दुनिया रचने वाले ने बड़ा खूब ये खेल खेला है, जीवन के कई रंगों से सजी ये दुनिया एक मेला है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1064 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।